काँके वणी एक दन ठेरायो हे, वीं आपणाँ थरप्या तकाऊँ वो धरती का हंगळा मनकाँ को हाँचऊँ न्याव केरी, अन वणी मरिया तका मूँ पाछो जीवतो वेन हंगळा मनकाँ में आ बात पाकी कर दिदी हे।
हाँची में मने बतायो ग्यो हे के, थाँ लोगाँ में कुकरम फेल्यो तको हे, अस्यो कुकरम ज्यो अधरम्याँ में भी ने मले हे के, एक मनक आपणी सोतेली बई का लारे कुकरम करे हे।
ब्याव को हाराई ने मान करणो छावे। लोग-लुगई एक-दूँजा का वाते वफादार रेवो। काँके दूजाँ का हाते गलत वेवार राकबावाळा लोग-लुगई ने अन कुकरम करबावाळा ने परमेसर सजा देई।