3 मने ईंकी थोड़ीक भी चन्ता ने हे के, थाँ मारो न्याव करो कन कुई पंचात करे। मूँ खुद भी आपणो न्याव ने करूँ हूँ।
मुण्डा देकन न्याव मती करो, पण ठीक-ठीक न्याव करो।”
आत्मिक मनक हारी बाताँ को न्याव करे हे पण वींको न्याव कुई ने कर सके।
तो हाराई का काम का गुण हामे आ जाई, काँके अन्त की टेम यो वादीऊँ हामे आई अन वादी हाराई का काम की परक करी के, वणी कस्यान काम किदो।
अन पछे जीं ईं भेद की बाताँ का भण्डारी हे, वाँकी भी आ जिमेदारी हे के, वीं विस्वास जोगा रेवे।
काँके मारो मन साप हे, पण अणीऊँ ओ पको ने वेवे हे के, मूँ हाँची में निरदोस हूँ। वीं परबू तो एकीस हे ज्यो मारो न्याव करे हे।