“वींके मालिक वणीऊँ क्यो, ‘धन हे हव अन विस्वास जोगा दास, थूँ थोड़ा में विस्वास जोगो रियो। मूँ थने नरई चिजाँ को हकदार बणाऊँ। आपणाँ मालिक का घर में जान खुसी मना।’
वींके मालिक वणीऊँ क्यो, ‘धन हे हव अन विस्वास जोगा दास, थूँ थोड़ा में विस्वास जोगो रियो। मूँ थने नरई चिजाँ को हकदार बणाऊँ। आपणाँ मालिक का घर में जान खुसी मना।’
ईं वाते मूँ तिमुतियुस ने ज्यो परबू का गट-जोड़ में लाड़लो अन मारा विस्वास जोगो बेटो हे, वींने थाँका नके खन्दायो हे, वो थाँने ईसू मसी में मारा वेवार का बारा में बताई, जिंने में हरेक जगाँ अन हरेक मण्डळ्याँ में हिकऊँ हे।
कूँवारी लुगायाँ का बारा में परबू की कस्यी आग्या मने ने मली हे, पण विस्वास के जोगो वेबा का वाते ज्या दया परबू मारा पे किदी हे, वींके जस्यान मूँ थाँने सला दूँ हूँ।
परमेसर का बचनाँ को वोपार करबावाळा नरई मनक हे वीं आपणो नफो छावे हे पण माँ अस्यान ने हाँ। माँ तो परमेसर का आड़ीऊँ खन्दाया तका मनक का जस्यान मसी ने हाते लेन, हाँचऊँ बोला हाँ।
आपाँ वणा काम ने जणीऊँ हरम आवे हे, वाँने कोयने कराँ हाँ। अन ने आपाँ कपट राका हाँ अन नेई आपाँ परमेसर का बचन में गाल-गसोळ करा हाँ। पण आपाँ तो हाँच ने खुला रूपऊँ लोगाँ का हामे बतावा हाँ अन परबू का हामे खुद खरा बणा हाँ।