ईसू वींकी बात हुणन क्यो, “हिवाळ्या के, तो खोकल वेवे हे अन आकास का जनावराँ का वाते गवाळा वेवे हे पण मनक का पूत का वाते मातो ढाँकबा का वाते भी जगाँ ने हे।”
मने विस्वास ने वेरियो के, कुई थाँने दास बणावे, थाँको बुरो भी करे, यद्याँ कुई थाँने जाळ में फसावे, अन खुद ने थाँकाऊँ मोटो बणावे अन कुई थाँका मुण्डा में जापट मारे तो थाँ वींने सेण करो हो।
कमी-पेसी में अन भरपुरी में रेणो मूँ जाणूँ हूँ। यद्याँ मूँ भुको कन धाप्यो तको हूँ अन मारा नके हेलो कन कम हे, कस्यी भी जगाँ में अन कणी भी टेम में सबर राकबा को ओ भेद में हिक लिदो हे।