“मूँ अंगूरा की वेलड़ी हूँ, थाँ डाल्याँ हो, ज्यो मारा में बणी रेवे हे अन मूँ वाँमें वाँ हेला फळ देवे हे। काँके माराऊँ न्यारा वेन थाँ कई भी ने कर सको हो।
अन यद्याँ मूँ परमेसर की बाताँ भी बता सकूँ अन मूँ हारोई भेद भी खोल सकूँ, हारोई ग्यान भी जाण जऊँ अन मने अटे तईं विस्वास भी वे के, मूँ मंगरा ने भी हरका सकूँ हूँ, पण परेम ने करूँ, तो मूँ कई भी ने हूँ।
मूँ बेण्डा मनक का जस्यान बतारियो हूँ पण अस्यान करबा वाते थाँईस मारा ऊपरे जोर दिदो हे। जद्याँ के, मूँ तो कई भी ने हूँ पण थाँ तो मारी बड़ई करणा छाता हाँ, काँके मूँ थाँका वाँ “मोटाऊँ मोटा खन्दाया तका चेलाऊँ” की कणी भी बात में कम ने हूँ।