पण थाँ आपणाँ गाटा अन कदी पछतावो ने करबावाळा मन के वजेऊँ परमेसर का गुस्सा ने आपणाँ वाते त्यार कररिया हो। वो गुस्सो थाँरा पे वीं दन पड़ी जदी परमेसर को हाँचो न्याव परगट वेई।
ईं वाते जद्याँ तईं परबू ने आवे वणीऊँ पेल्याँ किंको भी न्याव मती करो। वीं तो अदंकार में हपी तकी बाताँ ने भी उजिता में दिकाई अन मना की बाताँ भी हामे लाई अन वणी दाण परमेसर का आड़ीऊँ हरेक की बड़ई वेई।
अन अबे वटे परमेसर का हाते जीत को ईनाम मारी वाट नाळरियो हे, जिंने धरमी अन खरा न्याव करबावाळा परबू आकरी दन में मने देई। मने एकला नेईस ने, पण वाँ हाराई ने भी ज्यो परेम का हाते वींके परगट वेबा की वाट नाळे हे।
अन थाँ भेळा वेणो मती छोड़ज्यो। जस्यान के नरई मनकाँने तो भेळो ने वेबा की आदत पड़गी हे। पण आपाँने तो एक दूजाँ ने हमजाणा हे। जस्यान के, थाँ जाणो हो अन देको भी हो के, वो परबू को दन नके आरियो, जणीऊँ थाँने तो ओरुँ भी ईंने करणो छावे।
यो ईं वाते व्यो, ताँके थाँको यो विस्वास ज्यो वादी में पाक्या तका होनाऊँ भी मुगो हे, जद्याँ परबू ईसू मसी आई, तो ईं विस्वास का वजेऊँ थाँने परमेसर का आड़ीऊँ बड़ई, मेमा अन मान मली।
परमेसर को दन चोर का जस्यान अणाचेत को आई। परबू के पाच्छा आबा का दन आकास जोरऊँ गाजी अन नास वे जाई अन आकास पिंड जो आकास में हे वाँ हेली उनी वेन पिगळ जाई अन ईं धरती पे जो कई भी हे, वो भी बळ जाई।
पण आज जा धरती अन आकास आपाँ देकाँ हा, वींके आग्या का वजेऊँ वादीऊँ नास वेबा वाते ठमी तकी हे। ईंने वीं टेम का वाते ठाम मेली हे, जद्याँ तईं पापी मनकाँ को न्याव ने जावे अन वाँको नास ने कर दिदो जावे।
वींके केड़े में फोराऊँ लेन मोटा तईं का हाराई मरिया तका मनकाँ ने वीं गादी का हामे ऊबा तका देक्यो, अन थोड़ीक पोत्याँ खोली गी वणाके केड़े एक ओरी पोती खोली गी, याईस “जीवन की पोती हे।” वाँके करमा का जस्यान ज्या ईं पोती में लिक्या ग्या हा, मरिया तका को न्याव किदो ग्यो हो।