परमेसर की वीं दया के जस्यान, ज्यो मने दिदी गी हे, में एक हूँस्यार कारीगर के जस्यान नीम नाकी, पण वींपे सणई करबावाळो तो कुई ओरी हे। पण हरेक मनक ने ध्यान राकणो हे के, वीं कस्यान काम कररिया हे।
पण परमेसर की पाकी नीम हाले कोयने, जिंपे आ छाप लागरी हे के, “परबू आपणाँ मनकाँ ने जाणे हे,” अन, “ज्यो कुई परबू को नाम लेवे हे, वींने बुरा कामऊँ बच्यो तको रेणो छावे।”