54 अन जद्याँ आ नास वेबावाळी देह बना नास की जोळी ने पेर लेई अन आ मरबावाळी देह ने मरबावाळी देह की जोळी पेर लेई जदी सास्तर में लिक्यो तको ओ बचन पूरो वेई के, “जीत मोत ने निगळगी हे”,
आपाँ ईं देह में रेता तका बोजऊँ टसका लेरिया हाँ, ईंकी वजे आ हे के, आपाँ आपणी देह ने बदलणी ने छावाँ पण ईं देह में हरग को जीवन जीवणो छावाँ हाँ जणीऊँ ज्यो मरबा को जीवन हे वो जुग-जुग को जीवन वे जाई।