पण आपाँ हाराई भी एक का केड़े एक जिवाया जावाँ। हाराऊँ पेल्या मसी ने जिवायो ग्यो अन वाँका केड़े वाँका दूजी दाण आबा की टेम पे वाँने ज्यो मसी का मनक हे वाँने जीवाई।
हो भायाँ, मूँ थाँने बताऊँ हूँ के, आपणी आ देह ज्यो माँस अन लुईऊँ बणी तकी हे परमेसर का राज में भेळी ने वे सके हे अन ने ज्यो नास वेबावाळी या देह हे, वाँ ज्यो अमर हे वींमें भेळी वे सके हे।
परबू का बचना का आड़ीऊँ माँ थाँने बतारिया हाँ के, आपाँ जतरा जीवता हा, बच्या तका रेवा अन परबू के पाच्छा आबा का दन तईं जतरा मरग्या हे, वणाऊँ आगे कुई ने वेई।
परमेसर को दन चोर का जस्यान अणाचेत को आई। परबू के पाच्छा आबा का दन आकास जोरऊँ गाजी अन नास वे जाई अन आकास पिंड जो आकास में हे वाँ हेली उनी वेन पिगळ जाई अन ईं धरती पे जो कई भी हे, वो भी बळ जाई।
तो में आकास में एक बाज ने उड़तो तको देक्यो अन वो जोरकी अवाज में बोलरियो हा के, “आलतरे तो तीन हरग दुताँ को रणभेरी बजाणी बाकी हे, ईं वाते धरती पे रेबावाळा मनकाँ ने कतरो दुक वेई, कतरो दुक वेई।”