आपाँ जाणा हाँ के, ईं धरती पे आपणी देह रूपी घर भगाड़ दिदो जाई पछे आपाँने परमेसर का आड़ीऊँ हरग में कदी नास ने वेबावाळो घर मली वो मनकाँ का हाताऊँ बणायो तको ने वेई।
कुई ने नट सके के, आपणाँ धरम को भेद कस्यो मोटा हे, वो ज्यो मनक का रूप में परगट व्यो, पुवितर आत्मा जिंने धरमी बतायो, अन हरग-दुत जिंने देक्यो, देसा देसा में वींको परच्यार करियो ग्यो, दनियाँ में वींपे विस्वास करियो ग्यो, अन मेमावान हरग में उठा लिदो ग्यो।