मनक का पूत ने तो मरणोइस हे, जस्यान वाँका वाते लिक्यो हे, पण ज्यो मनक का पूत ने पकड़ाई, वींका वाँते घणी दुक बात वेई। वीं मनक के वाते आ बात घणी हव वेती, जदी वो जनमई ने लेतो।”
वो किताब को जो भाग भणरियो हो वो अस्यान हो। “वींने बली वेबावाळा गारा का जस्यान ले जारिया हा। वो तो वीं उन्याँ का जस्यान छानो-मानो हो, जो आपणी ऊन काटबावाळा का हामे छानो रेवे।
ईसू मसी की मोत पे विस्वास करबाऊँ पापाँ की मापी पाबा का वाते परमेसर ईसू मसी ने एक बलीदान का रूप में दे दिदो, ईं तरियाँ परमेसर आपणी धारमिकताने परगट किदी, काँके परमेसर समता खान मनकाँ का पेल्याँ का पापाँ को दण्ड ने दिदो अन छोड़ दिदा हा।
हरेक मायाजक मनकाँ मेऊँइस चुण्यो जावे हे ज्यो बाताँ परमेसर का वाते मनकाँ आड़ीऊँ किदी जावे हे, वाँ वाते वो ठेरायो जावे हे, ताँके भेंट अन पापबली चड़ाया करे।
अन वीं परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा मसी की आत्माऊँ यो भी जाणे हे के, मसी पे दुक आबावाळो हे अन वणी दुक का केड़े वींकी मेमा भी वेई। वाँ आत्मा वाँने बतावे हे के, ईं बाताँ कदी वेई अन तद्याँ ईं दनियाँ को कई वेई।
काँके मसी भी आपणाँ पापाँ का वाते दुक जेल्यो हो। ईंको मतलब ओ हे के, वो निरदोस हो तो भी वो आपणाँ पाप का वाते एक दाण मरग्यो, जणीऊँ वो आपाँने परमेसर का नके ले जावे। वो देह का रूप में तो मरग्यो, पण आत्मिक रूप में जिवायो ग्यो हे।