26 अन आकरी दसमण मोत को नास करियो जाई।
वी पाच्छा कदी भी ने मरी, काँके वी हरग-दुताँ का जस्यान वेगा अन वीं पाच्छा जीबावाळा की ओलाद वेबाऊँ परमेसर की ओलाद भी ठेरी।
“हे मोत थाँरी जीत कटे हे? अन थाँरो डंक कटे हे?”
पण अबे आपणाँ ने बंचाबावाळा ईसू मसी का आबा का आड़ीऊँ आपणाँ पे परगट व्यो हे। जणी हव हमच्यार का आड़ीऊँ मोत को नास करन जुग-जुग का जीवन ने परगट किदो हे।
काँके ओलाद माँस अन लुई की ही। ईं वाते वो भी वाँके अणी मनकपणा में भागी वेग्यो, ताँके आपणी मोतऊँ सेतान को नास कर सके, जिंका नके मारबा की तागत हे।
ज्यो मनक समन्द में मरग्या हा वाँने समन्द दे दिदा अन मोत अन पाताळ में ज्यो मनक हा, वाँने भी वणी दे दिदा। हाराई को न्याव वाँका कामाँ का जस्यान किदो ग्यो।
ईंका केड़े मोत ने अन पाताळ ने वादी का कुण्ड में नाक दिदा ग्या। यो वादी को कुण्डईस दूँजी मोत हे।
अन वो वाँकी आक्याँ का आसूँ पुछ नाकी अन ईंका केड़े मोत ने रेई, अन ने होक, ने रोणो-धोणो, ने पिड़ा रेई, काँके पेल्याँ की बाताँ जाती री ही।”