काँकरा वाळी जगाँ का बीज वणा मनकाँ का जस्यान हे के, जद्याँ वी हुणे, तो वी आणन्द का हाते परमेसर की वाणी ने माने हे। पण वीं जड़ ने पकड़वा का मस थोड़ीक दाण विस्वास करे हे अन परक की दाण वी भाग जावे हे।
मूँ हव-हमच्यारऊँ ने हरमऊँ हूँ, काँके यो विस्वास करबावाळा हाराई मनकाँ ने बंचाबा का वाते परमेसर की तागत हे, पेल्याँ यहूदियाँ ने अन पछे ज्यो यहूदी ने हे वाँने।
तो थूँ परमेसर की दया ने देक अन वींका गाटापणा पे ध्यान दे। ओ गाटापणा वाँका वाते हे ज्यो रेटे पड़ग्या हा, पण वाँकी दया थाँरा वाते हे। यद्याँ थूँ खुद पे वींकी दया बणी तकी रेवा देई। ने तो थने भी काटन फेंक दिदो जाई।
परमेसर अस्यान होच-हमजन ते कर राक्यो हो के, अणी दनियाँ का मनक आपणाँ ग्यानऊँ परमेसर ने ने जाण पाई, तो परमेसर ने ओ बड़िया लागो के, ईं तरिया परच्यार का जरिये ज्यो आपाँ कराँ हा, ज्यो परच्यार दनियाँ का मनकाँ की नजराँ में मुरकता हे, ईंपे विस्वास करबावाळा मनकाँ ने बचावे।
वणा आपाँने परमेसर का मनक वेबा वाते बंचाया अन बलाया हे, ओ सोभाग्य आपणाँ पे आपणाँ कामाँ का जस्यान ने मल्यो हे, पण ओ तो वाँकी दया अन वाँका मकसद वाते आपाँ पे ने मल्यो हे, ज्यो ईसू मसी में सरुवातऊँ आपणाँ वाते हो।
पण परमेसर का घराणा में मसी तो एक बेटा का रूप में विस्वास करबा के जोगो हे, अन यद्याँ आपाँ हिम्मत राका अन वीं आस पे विस्वास बण्यो तको राका हा, तो आपींइस वींको घराणो हा।