अन वाँने दिकबा का केड़े वीं पानस्येऊँ हेला विस्वासी भायाँ ने जद्याँ वीं एक हाते हा, वाँने दिक्यो अन वणा मेंऊँ नरई तो अबाणू तईं जीवता हे, पण कुई तो सांत वेग्या।
परबू का बचना का आड़ीऊँ माँ थाँने बतारिया हाँ के, आपाँ जतरा जीवता हा, बच्या तका रेवा अन परबू के पाच्छा आबा का दन तईं जतरा मरग्या हे, वणाऊँ आगे कुई ने वेई।
काँके परबू खुद हरगऊँ उतरी अन वीं टेम परदान हरग-दुत को जोरको आदेस हुणाई अन परमेसर को वाक्यो बजायो जाई अन मसी में विस्वास करता तका जतरा मरग्या, वीं पेल्याँ जीवता वे जाई।
जद्याँ मूँ अस्यान बोलरियो हो के, तद्याँ हरगऊँ आ अवाज हुणई, “ईंने लिकी ले। ज्यो परबू की सेवा करता करता मरे हे वीं धन्न हे।” आत्मा केवे हे के, “वीं आपणाँ कामाँऊँ आराम पाई, अन वाँका काम वाँके हाते हे।”