19 तद्याँ भी मण्डली में अलग अलग बोली में दस हजार सबद बोलबा के बजाय हव अकल की पाँच बात बोलणी बड़िया हमजूँ हूँ, काँके जणीऊँ मूँ दूजाँ ने हिक दे सकूँ।
ताँके थाँ ओ पुरी तरियाऊँ जाण सको के, जीं भी बाताँ थाँने हिकई गी हे, वीं हाँची अन अटल हे।
मूँ परमेसर को धन्नेवाद करूँ हूँ के, मूँ थाँकाऊँ भी हेली दाण अलग अलग बोल्याँ बोल सकूँ हूँ।
हो विस्वासी भायाँ थाँ थाँकी होच-हमज में बाळक मती बणो। बुरो करबा का वाते तो बाळक बण्या तका रेवो पण होच-हमज में हमजदार बणो।
काँके ज्यो अलग अलग बोल्याँ में बात करे हे वो खुद ने गाटा करे हे पण ज्यो परमेसर का आड़ीऊँ बोले हे वो विस्वास्याँ की मण्डली ने गाटी करे हे।