14 काँके जद्याँ मूँ अलग अलग बोली बोलन परातना करूँ हूँतो मारी आत्मा परातना करे हे पण हमजबा का वाते मारी अकल काम की कोयने।
अन ज्यो मनक अलग अलग बोली बोले वाँने परातना भी करणी छावे के, वो भी वीं बात को मतलब बता सके।
तद्याँ भी मण्डली में अलग अलग बोली में दस हजार सबद बोलबा के बजाय हव अकल की पाँच बात बोलणी बड़िया हमजूँ हूँ, काँके जणीऊँ मूँ दूजाँ ने हिक दे सकूँ।
काँके ज्यो मनक अलग अलग बोल्याँ में बात करे हे वो मनकाँऊँ बात कोयने करे पण परमेसरऊँ बात करे हे। ईं वाते वींकी बोली कुई हमज ने सके, काँके वो भेद की बाताँ ने आत्मा में वेन केवे हे।