अन परमेसर का आड़ीऊँ थाँ ईसू मसी में हो, मसी ज्यो परमेसर का आड़ीऊँ आपणाँ वाते ग्यान ठेरियो अन वींका वजेऊँ आपाँ परमेसर का हामे सई अन पुवितर मनक बण्या अन आपाँने छुटकारो मल्यो।
अन यद्याँ मूँ परमेसर की बाताँ भी बता सकूँ अन मूँ हारोई भेद भी खोल सकूँ, हारोई ग्यान भी जाण जऊँ अन मने अटे तईं विस्वास भी वे के, मूँ मंगरा ने भी हरका सकूँ हूँ, पण परेम ने करूँ, तो मूँ कई भी ने हूँ।
हो विस्वासी भायाँ जद्याँ थाँ भेळा वेवो तो थाँने कई करणो छावे? थाँ तो जद्याँ भी भेळा वेवो हो तद्याँ थाँ भजन अन बचन, परमेसर का दरसण का बारा मेंईस बखाण करो हो। कुई अलग अलग बोली बोले हे अन कुई वीं बोली को मतलब बतावे हे। अन ईं हारी बाताँऊँ मण्डली आत्मिक रूप में गाटी वेणी छावे।
हो विस्वासी भायाँ यद्याँ मूँ थाँका नके आन दरसण, परमेसर का आड़ीऊँ बात, हिक देबावाळी अन ग्यान देबावाळी बाताँ ने बोलूँ पण अलग अलग बोली बोलूँ तो थाँने माराऊँ कई नफो?
माँ आ बात मेपणोऊँ अन साप हरदाऊँ के सका हाँ के, माँ ईं दनियाँ का हाते अन खासतोरऊँ थाँका हाते परमेसर की दया के जस्यान चाल्या हा अन हव तरियाऊँ अन हाँच का हाते चाल्या हा ज्यो परमेसर का आड़ीऊँ मले हे ईं दनियाँ की अकलऊँ ने मले हे।
काँके परमेसर क्यो हो के, “अन्दारा में उजितो चमकी” अन वोईस आपणाँ हरदा में चमक्यो हे, जणीऊँ आपाँने ईसू मसीऊँ परमेसर की मेमा का वाते ग्यान को उजितो मल सके।
अन थाँ हारी बाताँ धनवान हो, जस्यान के विस्वास में, बोली में, ग्यान में, नरई तरियाऊँ भलई करबा में अन जणी परेम की हिक माँ थाँने दिदी ही, वीं परेम में थाँ पाका हो वस्यानीस थाँ अणी दान देबा का काम में भी बड़ता जावो।