आपाँ जाणा हे के, नेम ज्यो कई केवे हे, वाँने केवे हे ज्यो नेमा का बंस में हे। अणीऊँ हाराई का मुण्डा बन्द किदा जा सके अन हारी दनियाँ परमेसर का दण्ड के जोगी वे।
अन परमेसर को वरदान आदम का पाप का फळ का जस्यान ने हे। काँके दण्ड का वाते न्याव को आणो एक पाप का केड़े व्यो हे। पण ओ वरदान ज्यो पाप की मापी का आड़ी ले जावे हे, वो नरई पाप का केड़े आयो हे।
परमेसर अस्यान होच-हमजन ते कर राक्यो हो के, अणी दनियाँ का मनक आपणाँ ग्यानऊँ परमेसर ने ने जाण पाई, तो परमेसर ने ओ बड़िया लागो के, ईं तरिया परच्यार का जरिये ज्यो आपाँ कराँ हा, ज्यो परच्यार दनियाँ का मनकाँ की नजराँ में मुरकता हे, ईंपे विस्वास करबावाळा मनकाँ ने बचावे।