29 काँके ज्यो कुई परबू की देह ने बना ओळक्या खावे-पीवे हे, वीं परमेसर का दण्ड ने नुतो देवे हे।
पसे मूँ मनक को पूत खातो-पितो आयो तो, थाँ केरिया हो, ‘देको यो खवगड़्यो अन पीबावाळो मनक हे। अन लगान लेबावाळा अन पाप्याँ को हण्डाळ्यो हे।’
तो ज्यो भी अदिकारियाँ को विरोद करे हे, वो परमेसर की आग्या को विरोद करे हे। अन ज्यो परमेसर की आग्या को विरोद करे हे, वाँने सजा मली।
अन धन्नेवाद देन वणा वींने तोड़ी अन क्यो, “ओ मारो डील हे, ज्यो थाँका वाते हे, मने आद करबा का वाते थाँ अस्यानीस करिया करज्यो।”
ईं वाते ज्यो कुई भी परबू की रोटी कन परबू का प्याला मूँ गलत तरियाऊँ खाई-पिई, वो परबू की देह अन वाँका लुई को गुनेगार मान्यो जावे हे।
ईं वाते मनकाँ ने ओ करणो छावे के, वीं आपणाँ खुद ने परके अन तद्याँ वीं रोटी ने खावे अन वीं प्याला मूँ पिवे।
अणीऊँ थाँकामूँ नरई कमजोर अन मान्दा हे अन कुई तो मर भी ग्या हे।
पण रोट्याँ तो मोठ्याराँ का वाते वेवे हे जणा नत नेम राकन खुद ने त्यार करन भला-बुरा की पेचाण करणो हिक लिदो हे।
हो मारा भायाँ, थाँका मेंऊँ हेला मण्डली में हिकाबावाळा मती बणज्यो, काँके थाँ जाणो हो के, माँ हिकाबावाळा को न्याव ओरुँ भी कल्ड़ो किदो जाई।
हो भायाँ, हाराऊँ मोटी बात तो या हे के, थाँ होगन मती खाज्यो, ने तो हरग की अन ने धरती की अन नेई कणी चीज की। पण थाँकी बाताँ हा की हा अन ने की ने वेवे, जणीऊँ थाँने परमेसर को दण्ड ने भोगणो पड़े।