10 परमेसर मनक ने अदिकार दिदो हे अन वीं अदिकार ने दिकाबा का वाते, लुगई आपणो मातो ढाँके। वींने हरग-दुताँ का मस भी अस्यो करणो छावे।
“देको, थाँ अणा फोरामूँ कणी ने बेकार मती जाणो, काँके मूँ थाँकाऊँ केवूँ हूँ के, हरग में वाँका दूत मारा हरग का बाप को मुण्डो हमेस्या देकता रेवे हे।
पछे भी परबू का गट-जोड़ में ने तो लुगई मनकऊँ अन ने मनक लुगईऊँ आजाद हे।
मनक लुगई का वाते ने रच्यो ग्यो पण लुगई मनक का वाते रच्यी गी हे।
तो पछे हरग-दुत कई हे? कई वीं हाराई हरग-दुत छुटकारो पाबावाळा मनकाँ की सेवा करबा का वाते खन्दई तकी आत्मा ने हे?