जद्याँ थाँके खाबाऊँ कणी विस्वासी भई ने ठेस लागे हे, तो थाँ हाँची में परेम को वेवार ने कररिया हो। तो थाँ खाबाऊँ वींको नास मती करो, काँके वाँका वाते भी मसी आपणो जीव दिदो हो।
हो विस्वासी भायाँ जद्याँ थाँ भेळा वेवो तो थाँने कई करणो छावे? थाँ तो जद्याँ भी भेळा वेवो हो तद्याँ थाँ भजन अन बचन, परमेसर का दरसण का बारा मेंईस बखाण करो हो। कुई अलग अलग बोली बोले हे अन कुई वीं बोली को मतलब बतावे हे। अन ईं हारी बाताँऊँ मण्डली आत्मिक रूप में गाटी वेणी छावे।
थाँकामूँ कुई के सके हे के, “हारी चिजाँ मारा वाते सई हे।” हा, पण हारी चिजाँ नफा की ने हे। “हारी चिजाँ मारा वाते सई हे,” पण मूँ कस्यी भी बात को गुलाम ने वेऊँ।
अन वाँ मनगड़त केण्याँ अन वंसावल्या पे मन ने लगावे, ज्यो लड़ई-जगड़ो करावे हे अन परमेसर की वीं मरजी ने पुरी ने वेवा देवे हे, ज्या खाली विस्वासऊँ पुरी वे सके हे।