21 थाँ परबू का प्याला मूँ अन हुगली आत्मा का प्यालो मूँ दुयाऊँ ने पीं सको हो। थाँ परबू का भोज अन हुगली आत्मा का भोज, दुयाँ में एक हाते भागी ने वे सको हो।
“कुई भी मनक एक लारे दो मालिकाँ की सेवा ने कर सके हे, काँके वो एकऊँ दसमणी अन दूजाऊँ लाड़ राकी कन एकऊँ मल्यो रेई अन दूजाँ ने बेकार जाणी। थाँ परमेसर अन धन-दोलत दुयाँ की सेवा एक हाते ने कर सको हो।
वो धन्नेवाद को प्यालो, जिंपे आपीं धन्नेवाद कराँ हाँ, कई आपीं मसी का लुई में भेळा कोयने? वाँ रोटी जिंने आपीं तोड़ा हाँ, कई मसी की देह में आपीं भेळा कोयने?
काँके यद्याँ कुई “थाँ ग्यानी” ने मन्दर में चड़ई तकी चिजाँ खाता देक ले अन वो कमजोर विस्वासवाळो मनक वे, तो कई वींका मन में मूरताँ का हामे चड़ई तकी चिजाँ खाबा को मन ने वे जाई?