हो विस्वासी भायाँ में ईं बाताँ ज्यो थाँने हिकई हे वीं आपणाँ खुद अन अपुलोस का ऊपरे लागू किदी हे, ताँके थाँ अणी कावत को अरत जाणन हिक सको के, “थाँ सास्तर में लिकी तकी बाताँ ने उलाँगो कोनी” अन एक मनक को पकस लेन कणी दूजाँ का विरोद करता तका मेपणाऊँ ने भर जावो।
हाँचा खतनावाळा तो आपींइस हा काँके परमेसर की आत्माऊँ वींकी भगती आपींइस करा हाँ अन आपीं आपणो भरोसो दिकबावाळा रिति-रिवाज पे ने पण ईसू मसी पे मेपणो राका हाँ।