परमेसर अस्यान होच-हमजन ते कर राक्यो हो के, अणी दनियाँ का मनक आपणाँ ग्यानऊँ परमेसर ने ने जाण पाई, तो परमेसर ने ओ बड़िया लागो के, ईं तरिया परच्यार का जरिये ज्यो आपाँ कराँ हा, ज्यो परच्यार दनियाँ का मनकाँ की नजराँ में मुरकता हे, ईंपे विस्वास करबावाळा मनकाँ ने बचावे।
पण देह को मनक परमेसर की आत्मा की बाताँ गरण ने करे, काँके वीं बाताँ वींकी देकणी में बेण्डापणा की बाताँ हे अन ने वो वाँने जाण सके हे काँके वाँ बाताँ की परक आत्मिक रितऊँ वेवे हे।
ओ हाँच हे के, वींकी कमजोरी की वजेऊँ वींने हूळी पे चड़ायो ग्यो पण वो परमेसर की तागतऊँ जीरियो हे। ओ हाँच हे के, मसी का मयने माँ भी कमजोर हाँ पण थाँकी भलई की वाते परमेसर की तागतऊँ वींके हाते जीवाँ हाँ।