17 काँके मसी मने बतिस्मा देबा का वाते ने पण हव हमच्यार हुणाबा का वाते खन्दायो हे अन यो भी मनकाँ का ग्यानऊँ ने। यद्याँ मूँ अस्यान करूँ तो मसी को हूळी चड़णो बेकार वेई।
माँ आ बात मेपणोऊँ अन साप हरदाऊँ के सका हाँ के, माँ ईं दनियाँ का हाते अन खासतोरऊँ थाँका हाते परमेसर की दया के जस्यान चाल्या हा अन हव तरियाऊँ अन हाँच का हाते चाल्या हा ज्यो परमेसर का आड़ीऊँ मले हे ईं दनियाँ की अकलऊँ ने मले हे।
ज्यो मनक मारो विरोद करे हे वीं केवे हे के, “वींका कागद तो जोरदार अन नरोगा रूपऊँ लिक्या तका वेवे हे पण जद्याँ वो हामे आवे हे तो वो देह में कमजोर अन बोलबा में भी अतरो खास ने दिके हे।”
आपाँ वणा काम ने जणीऊँ हरम आवे हे, वाँने कोयने कराँ हाँ। अन ने आपाँ कपट राका हाँ अन नेई आपाँ परमेसर का बचन में गाल-गसोळ करा हाँ। पण आपाँ तो हाँच ने खुला रूपऊँ लोगाँ का हामे बतावा हाँ अन परबू का हामे खुद खरा बणा हाँ।
माँ थाँने आपणाँ परबू ईसू मसी की तागत का बारा में अन वींके पाच्छा आबा का बारा में जो हमच्यार हुणायो हो, वो कुई हुस्यारीऊँ बणई तकी केणी ने हे, पण में खुदई वींकी मेमा ने मारी आक्याँऊँ देकी हे।