11 वांको तो मुण्डो बन्द कर्यो जाणोई चायजे। क्युं क वे ज्यो बाता सखाबा की कोन्अ वान्अ ई सखार घरका घर उजाड़र्या छ। बराई का गेल्ला सुं धन कमाबा बेई वे अस्यान करअ छ।
“अरअ कपटी धरम सखाबाळाओ अर फरीसीओ! थान्अ धिक्कार छ। थे मनखा बेई सरग का राज का गेल्ला न्अ बन्ध करो छो। न्अ तो थे खुद उम्अ जावो अर न्अ दूसरा ज्यो उम्अ जाबा बेई जोरी करर्या छ वान्अ जाबाद्यो।”
अब आपा या जाण्अ छा क बेवस्था मं ज्योबी खियो गियो छ, वो वान्अ बताव्अ छ ज्यो बेवस्था म बन्धया छ। जिसुं हरेक मुण्ढा न्अ बन्द कर्यो जा सक्अ अर सबळो जगत परमेसर की सज्या जस्यान को बण्अ।
ईक्अ अलावा वाम्अ आळस की आदत पड़जाव्अ छ वे एक घर सुं दूसरा घर मं ढोलती फरअ छ अर वे आळसी ई नही पण वे बातुनी बणर दूसरा का कामा मं रोड़ा अटकाव्अ छ। अर अस्यान की बाता बतळाबा लागजाव्अ छ ज्यो वान्अ कोन बोलणी चायजे।
पण कोई बिधवा बेरबानी क छोरा-छोरी या नाती-पोता होव्अ, तो वान्अ खुदका घराणा की लारा धरम सुं चालता होया खुदका परवार की सार सम्भाळ करबो सिखणी चायजे। वान्अ चायजे क वे खुदका माई-बाप का पालण-पोषण को बदलो चुकाव्अ क्युं क इसुं परमेसर राजी होव्अ छ।
वां मनखा क गाब्अ ज्यांकी बुद्धि बगड़गी, लगतमार बण्या रेबा जस्यानका बिचार पैदा होव्अ छ, वे सांच सुं न्यारा छ। अस्यान का मनखा का बच्यार छ क परमेसर की सेवा धन कमाबा को एक साधन छ।
क्युं क वाम्अ सुं एकात सखाबाळा अस्यान का छ ज्यो घरा मं उळर कमजोर इच्छा सक्ती की अर पापहाळा कामा की हरेक इच्छा प चालबाळी बेरबान्या न्अ काबु मं कर लेव्अ छ।