उंई बगत म बा च्यारू जीवता जीवां क बीच मंसुं एक आवाज आती सुण्यो, ज्यो खेरी छी, “आबाळा दना मं धरती मं काळ पड़्अलो अर एक दन की मजुरी का बदला मं बस एक दन खाबा का गेऊ अर एक दन की मजुरी का बदला मं बस तीन दन ताणी खाबा का जौ ही मल्अला। पण जैतून का तेल अर दाखरस का भाव कोन बदल्अला।”