4 म घणाजोर सुं रोबा लागगो क्युं क बी कताब न्अ खोल्बा अर बीक्अ मायन्अ देखबा क लायक कोई कोन मल्यो।
ईक्अ पाछ्अ मन्अ एक और दर्साव दिख्यो अर मन्अ सरग को बाण्णो खुलेड़ो दिख्यो। अर बाई आवाज जीन्अ मं पेली सुण्यो छो, तुरी की आवाज मं मन्अ खेरी छी, “उपरअ आजा। ज्यो बाता पक्की होबाळी छ म तन्अ दखाऊलो।”
पण सरग मं या फेर धरती माळ्अ अर पताळ लोक मं कोई बी अस्यानको कोन छो ज्योबी लपेटेड़ी कताब की मोहरां न्अ खोल्अ अर बी कताब न्अ खोल्अ।
फेर बा बड़ाबूड़ा मंसुं एक मन्अ खियो, “रोव्अ मत। सुण, यहूदा का वंस को न्हार ज्यो दाऊद को वंसज छ, वो जीतेड़ो छ। वो या सातू मोहरां न्अ तोड़बा अर कताब न्अ खोल्बा क लायक छ।”