वे लोगबाग सिंहासन, च्यारू जीवता जीवां अर बड़ाबूड़ा क साम्अ एक नयो गीत गारया छा। ज्यां एक लाख चवाळीस हजार लोगबागा न्अ धरती माळ्अ सुं मोल देर छुड़ा लिया छा बान्अ छोड़र कोई बी बी गीत न्अ कोन सींख सक्अ छो।
फेर मन्अ कांच की जस्यान को आग को सागर दिख्यो। फेर म देख्यो क वे बी ड़रावणा ज्यानबर की मूरती माळ्अ अर बीका नांऊ की गणती का आंक माळ्अ जीत पा लिया, वे बी सागर माळ्अ परमेसर की दियेड़ी सारंग्या लेर उबा छा।
म देख्यो क उण्णेठो सात मोहरां मं सुं एक न्अ तोड़ दियो। उंई बगत म बा च्यारू जीवता जीवां मं सुं एक न्अ बादळो गाजबा की जस्यान आवाज मं खेतो सुंण्यो, “आजा।”
उंई बगत म बा च्यारू जीवता जीवां क बीच मंसुं एक आवाज आती सुण्यो, ज्यो खेरी छी, “आबाळा दना मं धरती मं काळ पड़्अलो अर एक दन की मजुरी का बदला मं बस एक दन खाबा का गेऊ अर एक दन की मजुरी का बदला मं बस तीन दन ताणी खाबा का जौ ही मल्अला। पण जैतून का तेल अर दाखरस का भाव कोन बदल्अला।”