अर आज म ज्योबी छु परमेसर की दीया सुं छु अर उंकी दीया म्हारअ बेई बेकार कोन गई, म दूसरा थरपेड़ा चेला सुं बढ़र मेहनत कर्यो छु। पण या म्हारी काबलियत कोन या तो परबु की दीया छ।
अर ज्यो जुग-जुग जीवतो छ, ज्यो धरती अर आम्बर की सबळी चीजान्अ, धरती अर धरती माळ्अ की अर सागर अर ज्योबी बीम्अ छ, बा सबकी रचना कर्यो छ, बी परमेसर की सोगन खार वो सरगदूत खियो, “अब और साउटी बार कोन लाग्अली।