6 जीक्अ कान होव्अ, वो सुणले क आत्मा बस्वास्या की टोळी सुं कांई खेव्अ छ।”
ज्यो सुण सक्अ छ वो सुणले!
ज्यो सुण सक्अ छ वे सुणले!”
फेर जिक्अ कान होव्अ वो सुणल्यो!”
“जिक्अ सुणबा बेई कान होव्अ वो सुणले।”
अर कोई-कोई बीज चोकी नाभ जमी मं पड़या। वे उग्या अर वे सौ गुणा सांवटी फसल दिया।” ये बाता बतार वो जोरसुं हाक्को पाड़र खियो, “ज्यां कन्अ सुणबा बेई कान छ वे सुणले।”
जीक्अ कान होव्अ, वो सुणले क आत्मा बस्वास्या की टोळी सुं कांई खेव्अ छ। ज्यो जय पाव्अलो बीन्अ म दूसरी मोत सुं कांई बी नुकसाण कोन होबा द्यु।”
जीक्अ कान होव्अ, वो सुणले क आत्मा बस्वास्या की टोळी सुं कांई खेव्अ छ। ज्यो जय पाव्अलो, म बीन्अ परमेसर का बाग मं लागेड़ा जन्दगी का रूंखड़ा को फळ खाबा को अधिकार देऊला।”
जीक्अ कान होव्अ, वो सुणले क आत्मा बस्वास्या की टोळी सुं कांई खेव्अ छ।”