उंको मालिक उन्अ खियो, ‘स्याबास! तु चन्याक मं भरोसो करबा जस्यान को बस्वासहाळो चोखो नोकर छ, म थन्अ ओर सावटा को अधिकार द्युलो। माईन्अ जार म्हारी खुसी मं भेळ्अ होजा।’
कोई म्हारी सेवा करबो छाव्अ तो उन्अ म्हारअ पाछ्अ आणो पड़्अलो, जिसुं जड़अ म छु बड़अ म्हारो सेवक बी रेव्अलो। कोई म्हारी सेवा करअ तो म्हारो परमेसर बाप बी बीको आदरमान करअलो।”
ईक्अ पाछ्अ म देख्यो क एक घणीसारी जळा उबी छी, जिकी गणती कोई कोन कर सक्अ छो। ई जळा मं हर जाति का, हर वंस का, हर कुणबा का अर हर भाषा का लोगबाग उबा छा। वे बी सिंहासन अर बी उण्णेठा क आग्अ उबा छा। वे धोळा लत्ता पेर मेल्या छा अर वांका हाथा मं खजूर की डाळ्यां ले मेल्या छा।