“पण जद वो सायता करबाळो ज्यो सांच की आत्मा छ अर परमेसर की ओड़ी सुं आव्अ छ थां कन्अ आवलो, जीन्अ म परमेसर बाप की ओड़ी सुं थां कन्अ खन्दाऊलो, तो वो म्हारी गुवाई देव्अलो।
पण ज्यो ई पाणी मंसुं पिव्अला ज्यो म वान्अ देऊलो, वान्अ फेर कद्या बी तसाई कोन लाग्अली। पण ज्यो पाणी म वान्अ देऊलो वो वाम्अ एक झरण्यो बण जाव्अलो ज्यो सदामेस की जन्दगी बेई उफणतो रेव्अलो।”
फेर ज्यां सात सरगदूता कन्अ सात आखरी विपत्या सुं भरया सात कटोरा छा, बाम्अ सुं एक म्हारअ कन्अ आर खियो, “अण्डअ आ, म तन्अ लाड़ी दखाऊ, मतबल उण्णेठा की लुगाई।”
फेर म सुण्यो क सरग की, धरती माळ्अ की, पताळ की, समून्दर की, सारी रचना; हां, बी सबळा ब्रह्माण्ड का हर जीव खेर्या छा, “ज्यो सिंहासन माळ्अ बेठ्यो छ उंकी अर उण्णेठा की बढ़ाई, आदरमान, महमा अर पराक्रम जुग-जुग रेव्अ।”