5 ज्यो सिंहासन माळ्अ बेठ्यो छो, वो बोल्यो, “अब म सबळी चीजा नुई बणा देऊ छु।” फेर वो बोल्यो, “ईन्अ माण्ढ ले, क्युं क ये बचन बस्वास क्अ लायक अर सांचा छ।”
ई बजेसुं नयो अंगूरा को खाटो रस नुई दिवड़्या म ई भर्यो जाव्अ छ।
ई बजेसुं अब ज्योबी मसी मं छ वो परमेसर मं नुई सृष्टी छ। पराणी बाता जाती री। अर अब देखो सब नयो छ।
यो सबद क “एकबार फेर” साफ दखाव्अ छ क रचना करेड़ी चीजा हलार हटाई जाव्अली। जिसुं ज्यो हाल कोन्अ सक्अ वे मोजूद रे सक्अ।
बा आवाज या खेरी छी क, “तु ज्यो देखर्यो छ, बीन्अ एक कताब मं मांडतो जा अर फेर बीन्अ इफिसुस, स्मुरना, पिरगमुन, थुआतीरा, सरदीस, फिलादेलफिया अर लौदीकिया की सातू बस्वास्या की टोळ्यां कन्अ खन्दा दे।”
ई बजेसुं ज्योबी तु देख्यो छ, अर ज्यो होर्यो छ, अर ज्यो आबाळी बगत मं होव्अलो, बीन्अ माण्ढल्अ।
फेर वो सरगदूत मन्अ खियो, “या माण्ढल्अ, धनै छ वो जीन्अ उण्णेठा का बियाव का जीम्बा म्अ बलायो गियो छ।” फेर वो मन्अ खियो, “ये परमेसर का सांचा बचन छ।”
फेर म एक बड़ा धोळा सिंहासन अर बीक्अ माळ्अ बेठ्यो छो बीन्अ देख्यो। बीक्अ साम्अ सुं धरती अर आम्बर भागगा। अर वांको नामुनिसाण मटग्यो।
अर ज्यो परमेसर की ओड़ी सुं बोलबाळा की ई कताब म मण्ढ्या बचना मंसुं कांई बी घटाव्अ तो परमेसर ई कताब मं मण्ढ्या जन्दगी का रूंखड़ा अर पवितर नगर मं सुं उंको हस्सो कुस्का लेव्अलो।
फेर वो सरगदूत मन्अ खियो, “ये बचन बस्वास करबा जस्यानका अर सांचा छ। परबु परमेसर ज्यो परमेसर की ओड़ी सुं बोलबाळा न्अ खुदकी आत्मा दियो छ, ज्यो बाता बेगीई होबाळी छ वान्अ खुदकी सेवा करबाळा न्अ दखाबा बेई वो खुदका सरगदूता न्अ खन्दायो छ।”
अर फेर झठदाणी पवितर-आत्मा मन्अ उपरअ उठा'र लेग्यो। मन्अ म्हारअ साम्अ सरग को सिंहासन दिख्यो जी माळ्अ कोई बेठ्यो छो।
जद ये जीवता जीव बी जुग-जुग जिन्दा रेबाळा की महमा, आदर और धन्यवाद करर्या छा ज्यो सिंहासन माळ्अ बेठ्यो छो तो
फेर म देख्यो क ज्यो सिंहासन माळ्अ बेठ्यो छो, बीका जीवणा हाथ मं गोळ समटेडी एक कताब छी। बीक्अ दोनी ओड़ी लिखेड़ो छो। अर बा सात मोहर लगार बन्द करेड़ी छी।