23 बी नगर मं उजाळो देबाक्अ ताणी कोई सूरज चांद की जुरत कोन छी क्युं क परमेसर की महमा सुं बीम्अ उजाळो होव्अ छ, अर उण्णेठो बीको दियो छ।
मनख को छोरो सरगदूता की लार खुदका परम-पिता की महमा की लार आबाळो छ ज्यो सबन्अ वांका करमा को फळ देव्अलो।
अर कोई ई व्यभिचारी अर पापी जमाना मं म्हारा नांऊ सुं अर परमेसर का बचन की बजेसुं सरमाव्अ तो, मं मनख को छोरो बी जद्या बा पवितर सरगदूता की लार परम-पिता की महमा सुं आंउलो, तो म बी वां मनखा सुं मूंडो फेर ल्युलो।”
यो बाळक दूसरी ज्यात का बेई थारो गेल्लो दखाबा को उजाळो अर थारा इजरायल का मनखा बेई या महमा छ।”
अर बचन काया को रूप लियो अर दीया अर सच्चाई सुं भर्यो पूरो होर आपण्अ गाब्अ रियो अर आपा उंकी असी महमा देख्या जस्यान बाप का ऐकला छोरा की महमा।
परमेसर न्अ कद्या बी कोई कोन्अ देख्यो पण परमेसर को एकलोतो छोरो ज्यो खुद परमेसर छ अर ज्यो परमेसर की छाती तळ्अ छ, उन्अ आपण्अ कन्अ चोड़्अ कर्यो छ।
उम्अ'ई जन्दगी छी अर वाई जन्दगी दनीया का मनखा बेई उजाळो छी।
वो सांचो उजाळो छ, ज्यो हरेक मनख न्अ ज्ञान को उजाळो देबा, सबळा क्अ साम्अ आर्यो छो।
“पापाजी, म चाऊ छु क ज्यांन्अ तु मन्अ दियो छ वे बड़्अ होव्अ जड़्अ म छु। क वे म्हारी बी महमा न्अ देख्अ ज्यो तु मन्अ दियो छ। क्युं क संसार न्अ बणाबा सुं पेली तु म्हारसुं हेत रांख्यो।”
जिसुं सबळा मनख छोरा को आदर वस्यानई करअ जस्यान बाप को करअ छ। ज्यो मनख छोरा को आदर कोन करअ वो उं बाप को बी आदर कोन्अ करअ ज्यो उन्अ खन्दायो छ।”
म बी जोरका उजाळा की बजेसु कांई कोन्अ देख पार्यो छो, जिसुं म्हारी लारहाळा म्हारा हाथ पकड़र मन्अ लेर चाल्या अर मे दमिस्क जा पुच्या।
वे अस्यान का लोगबाग छा ज्यांको कोई लुगाई सुं रिस्तो कोन छो, क्युं क वे एकधम कुंवारा छा। जड़्अ उण्णेठो जाव्अ छो वे बीक्अ पाछ्अ चाल्अ छा। सबळा मनखा मं सुं बान्अ मोल लेर छुड़ा लिया छा। वे परमेसर अर उण्णेठा क ताणी रास का पेला फळ छा।
ईक्अ पाछ्अ म एक ओर सरगदूत न्अ बड़ी सक्ति सुं सरग सुं नीच्अ उतरतो देख्यो। बीकी महमा सुं सारी धरती माळ्अ उजाळो होगो।
बीम्अ परमेसर की महमा छी, अर वा नन्दी नखरर कांच दिखरी छी।
दन म्अ बीका फाटक कद्या बी बन्द कोन होव्अला अर बीम्अ रात कद्या बी कोन्अ होव्अली।
उण्डअ कद्या बी रात कोन होवली अर न्अ वान्अ सुरज का अर दीया का उजाळा की जुरत होव्अली। क्युं क परबु परमेसर खुदको उजाळो वाप्अ करअलो अर वे लोगबाग सदा-सदा ताणी राज करअला।
फेर म बी सिंहासन अर बा च्यारू जीवता जीवां क अर बा बड़ाबूड़ा क गाब्अ एक उण्णेठा न्अ ऊबो देख्यो। वो अस्यान दिखर्यो छो, जाण्अ बीकी बली चढ़ाई गयी होव्अ। बीक्अ सात सींग अर सात आंख्या छी ज्यो परमेसर की सात आत्मा छ। ज्यांन्अ सबळी धरती माळ्अ खन्दायो गियो छो।
क्युं क वो उण्णेठो ज्यो सिंहासन क बीच मं छो वो बाकी रुखाळी करअलो। वो बान्अ जन्दगी देबाळा पाणी का धोरा कन्अ लेजाव्अलो अर परमेसर बांकी आंख्या का हरेक आंसुवा न्अ पूच देव्अलो।”