11 बीम्अ परमेसर की महमा छी, अर वा नन्दी नखरर कांच दिखरी छी।
वो मन्दर परमेसर की महमा अर सक्ति का धुंणी सुं भरग्यो छो जिसुं क जद ताणी बा सातू सरगदूता की सातू महामारया पूरी कोन हो जाव्अ, जद ताणी मन्दर मं कोई कोन उळ सक्अ।
उंक्अ पाछ्अ वो सरगदूत जन्दगी देबाळा पाणी की एक नन्दी मन्अ दखायो। वा नन्दी नखरर कांच छी। वा परमेसर अर उण्णेठा का सिंहासन सुं नखळर
उण्डअ कद्या बी रात कोन होवली अर न्अ वान्अ सुरज का अर दीया का उजाळा की जुरत होव्अली। क्युं क परबु परमेसर खुदको उजाळो वाप्अ करअलो अर वे लोगबाग सदा-सदा ताणी राज करअला।
ज्यो बड़्अ बेठ्यो छो, बीको रूप लाल रंग की मणी अर माणिक जस्यानका मेंगामोल का भाटा जस्यो छो। बीक्अ च्यारूमेर एक मेघधनुष छो ज्यो पन्ना की जस्यान लागर्यो छो।
सिंहासन क साम्अ नखरर कांच की जस्यान सागर फेलेड़ो छो। सिंहासन क साम्अ अर दोनी ओड़ी च्यार जीवता जीव छा। बांक्अ आग्अ पाछ्अ आंख्या ई आंख्या छी।