1 फेर म नयो आम्बर अर नुई धरती देख्यो। क्युं क पेलो आम्बर अर पेली धरती गायब हेगी छी। अर सागर बी गायब होग्यो छो।
क याबी कद्या खुदकी बनाफळबा की दसा सुं छूटवाड़ो पार, परमेसर का छोरा की महमावान आजादी मं पांतिदार होव्अ।
पण परबु का पाछा आबा को दन चोर की जस्यान आवलो। बी दन आम्बर जोरसुं गाजर जातो रेव्अलो, अर आम्बर का तारा पघळ जाव्अला, अर धरती अर बीक्अ माळ्अ का काम बळ जाव्अला।
पण म्हे परमेसर की परतिज्ञा की जस्यान एक नयो आम्बर अर नयी धरती की आस राखर बाठ नाळर्या छा, जिम्अ धरमीपणो बसअलो।
फेर म सागर मं सुं एक ड़रावणा ज्यानबर न्अ बारअ आतो देख्यो। बीक्अ दस सींग अर सात माथा छा। अर वो बीका सींगा माळ्अ दस मुकुट पेर मेल्यो छो। अर बीका हरेक माथा माळ्अ परमेसर की नन्दा करबाळा नांऊ मण्ढेड़ा छा।
फेर म एक बड़ा धोळा सिंहासन अर बीक्अ माळ्अ बेठ्यो छो बीन्अ देख्यो। बीक्अ साम्अ सुं धरती अर आम्बर भागगा। अर वांको नामुनिसाण मटग्यो।
ज्यो सिंहासन माळ्अ बेठ्यो छो, वो बोल्यो, “अब म सबळी चीजा नुई बणा देऊ छु।” फेर वो बोल्यो, “ईन्अ माण्ढ ले, क्युं क ये बचन बस्वास क्अ लायक अर सांचा छ।”
आम्बर फाटर कताब की जस्यान लपटगो। सबळा डुंगर अर टापू बांकी ठार सुं हटगा।