11 फेर म एक बड़ा धोळा सिंहासन अर बीक्अ माळ्अ बेठ्यो छो बीन्अ देख्यो। बीक्अ साम्अ सुं धरती अर आम्बर भागगा। अर वांको नामुनिसाण मटग्यो।
जिसुं म थान्अ खेऊ छु न्याऊ क दन थारी दसा सुं सूर अर सैदा की दसा साऊटी सैन करबाळी होव्अली।
छाव्अ धरती अर आम्बर मट जाव्अ पण म्हारो बचन कद्या बी कोन्अ मट्अलो।”
“मनख को छोरो ज्दया आवलो, तो सरग की महमा मं खुदका सबळा सरगदूता समेत स्यानदार सिंहासन प बेठ्अलो
पण खुदकी कळ्डाई अर कद्या बी पचतावो कोन करबाळा मन की बजेसुं, उंका रोष न्अ खुद बेई उं दन ताणी भेळो करर्यो छ जद्या परमेसर को सांचो न्याऊ परगट होव्अलो।
पण अबार को आम्बर अर धरती बी बचन सुंई रांखेड़ी छ क बाळी जाव्अ, अर या बना भगती का मनखा का न्याऊ अर खतम करबा का दन ताणी अस्यान ही रांखी जाव्अली।
पण वे अजगर न्अ हरा दिया अर वो अजगर बासुं जीत कोन पायो। अस्यान सरग मं बाकी ठार हाथ सुं नखळगी।
सबळा टापू गुमग्या। कोई डुंगर बी कोन दिखर्यो छो।
फेर म सरग न्अ खुलतो देख्यो अर म्हारअ साम्अ धोळो घोड़ो छो। घोड़ा को सवार बस्वास क्अ लायक अर सांचो खुवाव्अ छ, क्युं क वो सचाई सुं न्याऊ अर लड़ाई करअ छ।
वो बी पराणा बड़ा अजगर न्अ पकड़ लियो ज्यो रागस यान्अ सेतान छ। फेर एक हजार बरस क ताणी बीन्अ सांकळ सुं बांध दिया।
फेर म नयो आम्बर अर नुई धरती देख्यो। क्युं क पेलो आम्बर अर पेली धरती गायब हेगी छी। अर सागर बी गायब होग्यो छो।
ज्यो सिंहासन माळ्अ बेठ्यो छो, वो बोल्यो, “अब म सबळी चीजा नुई बणा देऊ छु।” फेर वो बोल्यो, “ईन्अ माण्ढ ले, क्युं क ये बचन बस्वास क्अ लायक अर सांचा छ।”
अर फेर झठदाणी पवितर-आत्मा मन्अ उपरअ उठा'र लेग्यो। मन्अ म्हारअ साम्अ सरग को सिंहासन दिख्यो जी माळ्अ कोई बेठ्यो छो।
आम्बर फाटर कताब की जस्यान लपटगो। सबळा डुंगर अर टापू बांकी ठार सुं हटगा।