प्रकासित वाक्य 2:7 - चोखो समचार (ढुंढाड़ी नया नियम)
7 जीक्अ कान होव्अ, वो सुणले क आत्मा बस्वास्या की टोळी सुं कांई खेव्अ छ। ज्यो जय पाव्अलो, म बीन्अ परमेसर का बाग मं लागेड़ा जन्दगी का रूंखड़ा को फळ खाबा को अधिकार देऊला।”
फेर मन्अ कांच की जस्यान को आग को सागर दिख्यो। फेर म देख्यो क वे बी ड़रावणा ज्यानबर की मूरती माळ्अ अर बीका नांऊ की गणती का आंक माळ्अ जीत पा लिया, वे बी सागर माळ्अ परमेसर की दियेड़ी सारंग्या लेर उबा छा।
नगर की खास गळ्यां क गाब्अ सुं होर बेरी छी। नन्दी की दोनी तीरां प्अ जन्दगी का रूंखड़ा उगमेल्या छा। वाप्अ हरेक बरस बारा फसला लाग्अ छी। उंक्अ हरेक रूंखड़ा प्अ हर मिना एक फसल लाग्अ छी अर वा रूंखड़ा का पत्ता सबळी जात्या का मनखा न्अ निरोगो करबा बेई छा।