29 “जीक्अ कान होव्अ, वो सुणले क आत्मा बस्वास्या की टोळी सुं कांई खेव्अ छ।”
“जिक्अ सुणबा बेई कान होव्अ वो सुणले।”
अस्यान बा बगत सबळा यहूदया, गलील अर सामरया की बस्वास्या की टोळी सांति मं रेई। अर पवितर-आत्मा की सायता सुं बस्वास्या की टोळी ओरू तागतहाळी होर गणती मं बदबा लागगी। क्युं क वे परबु का भे मं रेव्अ छा।
जीक्अ कान होव्अ, वो सुणले क आत्मा बस्वास्या की टोळी सुं कांई खेव्अ छ। ज्यो जय पाव्अलो, म बीन्अ परमेसर का बाग मं लागेड़ा जन्दगी का रूंखड़ा को फळ खाबा को अधिकार देऊला।”