फेर परमेसर को मन्दर ज्यो सरग मं छ खोल्यो गियो अर उण्डअ करार की सन्दूक दीखी। फेर बिजळी चमकबा लागगी, उंका कड़कबा की आवाज, बादळा का गाजबा की आवाज अर भूकम्प आबा लागगो अर मोटा-मोटा गड़ा पड़बा लागगा।
“लौदीकिया का बस्वास्या की टोळी का सरगदूत न्अ या माण्ढ; ज्यो ‘आमीन’ छ, बस्वास क लायक छ अर सांचो गुवा छ, ज्यो परमेसर की सृष्टी को राजो छ। वो अस्यान खेव्अ छ,
“फिलादेलफिया का बस्वास्या की टोळी का सरगदूत न्अ या माण्ढ: वो ज्यो पवितर अर सांचो छ अर जी कन्अ राजा दाऊद का नगर की चाबी छ जीका खोल्या बाण्णा न्अ कोई बन्द कोन कर सक्अ, अर जीका बन्द करेड़ा बाण्णा न्अ कोई कोन खोल सक्अ। वो अस्यान खेव्अ छ क,
ईक्अ पाछ्अ मन्अ एक और दर्साव दिख्यो अर मन्अ सरग को बाण्णो खुलेड़ो दिख्यो। अर बाई आवाज जीन्अ मं पेली सुण्यो छो, तुरी की आवाज मं मन्अ खेरी छी, “उपरअ आजा। ज्यो बाता पक्की होबाळी छ म तन्अ दखाऊलो।”
जद म देख्यो तो म्हारअ साम्अ एक सफेद घोड़ो छो। घोड़ा को सवार धनुष-बाण ले मेल्यो छो। बीन्अ जीत को मुकुट दियो गियो छो अर वो जीतबाळा की जस्यान जीत पाबा बेई बारे नखळग्यो।