7 जतरी महमा अर आराम बा खुदन्अ दी छ, थे बीन्अ बत्तीई पीड़ा अर दुख द्यो। बा अपणा-आपन्अ खेव्अ छ क ‘म महाराणी छु, म बिधवा कोन्अ, फेर दुख क्युं मनाऊ?’
पण जुवान रांडबेरा को नांऊ इम्अ मत माण्ढज्यो क्युं क मसी बेई वांका समर्पण प जद्या वांकी काया की मन्सा जोरा हो जाव्अ छ तो वे फेरू बियाऊ करबो छाव्अ छ।
क्युं क बा सबळा लोगबागा न्अ व्यभिचार की दारू पाई छी। ई संसार का राजा बीकी लार व्यभिचार कर्या छा। अर बीका भोग-बिलास सुंई संसार का बौपारी भागवान होया छ।”
“जद धरती का राजा, ज्यो बीकी लार व्यभिचार कर्या छा अर बीकी लार भोग-बिलास मं सीरी होया छा, बीकी लाय का धुंआ न्अ देख्अला तो वे बीक्अ ताणी रोव्अला अर बळ्ळाव्अला।