फेर म देख्यो क बी अजगर का मूंडा सुं, बी ड़रावणा ज्यानबर का मूंडा सुं अर उंका परमेसर की ओड़ी सुं झूंटमाट बोलबाळा का मूंडा सुं तीन दुष्टात्मा नखळी, ज्यो मिंढका की जस्यान दिखरी छी।
जिसुं बी बड़ी नगरी का तीन हस्सा होगा अर अधर्मया को नगर ढसगो। परमेसर बाबुल की बड़ी नगरी न्अ डण्ड देबा बेई याद कर्यो छो। जिसुं क वो बीका रोष सुं भभकतो कटोरो बीन्अ देव्अ।
फेर एक तागतहाळो सरगदूत एक घट्टी का पाट की जस्यानका भाटा न्अ ऊचर सागर म्अ या खेर फका दियो क, “हे महानगरी बाबुल, तु अस्यान'ई पटक दी जाव्अली अर फेर कद्या बी कोन लाद्अली।