12 “ज्यो दस सीग तु देख्यो छ वे दस राजा छ, वे अबार राज करबो सरू कोन कर्या पण बान्अ बी ड़रावणा ज्यानबर की लार थोड़ी बगत ताणी राज करबा को अधिकार दियो जाव्अलो।
फेर वो मन्अ खियो, “तन्अ घणासारा लोगबागा बेई, जात्या बेई, भाषा बेई अर राजां बेई फेरू परमेसर की बात खेणी पड़्अली।”
आम्बर मं एक ओर नसाण दिख्यो। म्हारअ साम्अ एक लाल रंग को बड़ो अजगर ऊबो छो। बीक्अ सात माथा अर दस सींग छा बीका सातू माथा माळ्अ सात मुकुट छा।
फेर म सागर मं सुं एक ड़रावणा ज्यानबर न्अ बारअ आतो देख्यो। बीक्अ दस सींग अर सात माथा छा। अर वो बीका सींगा माळ्अ दस मुकुट पेर मेल्यो छो। अर बीका हरेक माथा माळ्अ परमेसर की नन्दा करबाळा नांऊ मण्ढेड़ा छा।
वे दस सींग ज्यांन्अ तु देख्यो छ, अर वो ड़रावणो ज्यानबर बी वेस्या सुं नफरत करअला अर बी कन्अ सुं सब कोस लेव्अला अर बीन्अ नागी करर छोड़ देव्अला। वे बीको गोस खा जाव्अला अर बीन्अ आग मं बाळ नाख्अला।
वे बीका दुखा सुं डरपर आंतरअ उबा होर खेवला, ‘हे! सक्तिसाली नगर बाबुल! कतरो बरो, कतरो बरो! तन्अ थोड़ी ई बार मं थारो डण्ड मलगो।’
अर घड़ी भर मंई बीकी सारी माया पूंजी खतम हेगी।’ “फेर जहाजा न्अ चलाबाळा, वांका कप्तान, यात्री अर ज्योबी सागर सुं कमाव्अ छा, बी नगरी सुं आंतरअ उबा होगा।
फेर वे खुदका माथा माळ्अ धूळ पटकर रोता अर बळाता होया खिया, ‘महानगरी! अरअ कतरो भयानक! अरअ कतरो भयानक छ यो। ज्यां कन्अ जहाज छा, वे बीसुं बौपार करर भागवान बणग्या, अर अब देखो, घड़ी भर मंई बीकी सबळी माया पूंजी खतम होगी।’