8 फेर चोथो सरगदूत बीको कटोरो सूरज माळ्अ उन्दा दियो। जिसुं बीन्अ लोगबागा न्अ आग सुं बाळबा की सक्ती मलगी।
जिसुं ज्दया तावड़ो पड़यो तो वे पौधा भळसगा। क्युं क वांकी जड़ा सांवटी उण्डी कोन्अ छी।
“सूरज, चांद अर तारा मं नसाण प्रगट हेवला अर धरती की सबळी जात्या द विपदा आवली अर वे सागर की उथल-पुथल सुं घबरा जावला।
परबु को पाछो आबा को बड़ो अर महमा को दन आबासुं पेली सुरज काळो अर चांद लोई की जस्यान लाल हो जावलो।
फेर यज्ञ कुण्ड मंसुं एक ओर सरगदूत आयो। बीन्अ आग माळ्अ अधिकार छो। वो दांथळी लियेड़ा सरगदूत न्अ जोरसुं खियो, “थारी धारदार दांथळी सुं धरती का अंगूरा का गुच्छा न्अ काटल्अ, क्युं क वांका अंगूर पाकग्या।”
फेर जद उण्णेठो छठी मोहर न्अ तोड़यो तो म देख्यो क बड़्अ एक भूकम्प आग्यो। सूरज अस्यान काळो पड़ग्यो जस्यान कलेड़ी को पीन्दो होव्अ छ अर चांद लोई जस्यान लाल होगो।
बान्अ न्अ तो भूख लाग्अली अर न्अ वे तसाया होव्अला। सुरज वांको कांई कोन बगाड़ सक्अलो अर न्अ जोरका तावड़ा सुं बान्अ तप लाग्अलो।
जद चोथो सरगदूत तुरी बजायो तो सूरज का तीसरा हस्सा, अर चांद का तीसरा हस्सा अर सबळा तारा का तीसरा हस्सा माळ्अ बिपदा आगी। ई बजेसुं वांको तीसरो हस्सो काळो पड़ग्यो। ई बजेसुं दन को तीसरो हस्सो अर रात को तीसरो हस्सो अंधेरा मं डुबग्यो।
फेर वो तारो बी चमनी को ताळो खोल दियो ज्यो पताळ मं उतरअ छ चमनी सुं अस्यानको धुंओ नखळर्यो छो जस्यान कोई बड़ी भट्टी मंसुं नखळ्अ छ। अस्यान चमनी मंसुं नखळेड़ा धुंआ सुं सुरज अर आम्बर काळा पड़गा।