5 ईक्अ पाछ्अ म देख्यो क सरग का मन्दर मतबल करार का तम्बू न्अ खोल्यो गियो।
ज्दया मन्दर को पड़दो उपरअ सुं तळ्अ ताणी फाठर दो लिरा होग्यो। धरती हालगी, डुंगर फाटग्या।
जि ठार वे याजकपणा को काम करअ छा वो तो ज्यो सरग मं छो बीकी नकल अर छाया छ। जस्यान जद मूसा तम्बू बणाबाळो छो, तो बीन्अ चेतावणी मली छी क, “देखज्यो नमुनो तन्अ डुंगर माळ्अ दखायो गियो छ, बीकी जस्यानई सबळी चीजा बणाज्यो।”
फेर परमेसर को मन्दर ज्यो सरग मं छ खोल्यो गियो अर उण्डअ करार की सन्दूक दीखी। फेर बिजळी चमकबा लागगी, उंका कड़कबा की आवाज, बादळा का गाजबा की आवाज अर भूकम्प आबा लागगो अर मोटा-मोटा गड़ा पड़बा लागगा।
अर वो ड़रावणा ज्यानबर परमेसर की बेजती करबा लागगो, वो परमेसर का नांऊ, अर बीका मन्दर अर सरग मं रेबाळा की बेजती करबा लागगो।