प्रकासित वाक्य 15:1 - चोखो समचार (ढुंढाड़ी नया नियम)
1 फेर सरग मं एक ओर जोरको अचम्बा को नसाण दिख्यो। मन्अ सात सरगदूत सात महामारया लिएड़ा दिख्या। ये आखरी महाविनास छ, क्युं क यांक्अ पाछ्अ परमेसर को रोष बी ठण्डो हो जाव्अ छ।
फेर ज्यां सात सरगदूता कन्अ सात आखरी विपत्या सुं भरया सात कटोरा छा, बाम्अ सुं एक म्हारअ कन्अ आर खियो, “अण्डअ आ, म तन्अ लाड़ी दखाऊ, मतबल उण्णेठा की लुगाई।”
फेर म देख्यो क एक चील आम्बर मं ऊंची उड़री छी। म बीन्अ जोरसुं या खेतो सुण्यो, “बा तीन बचेड़ा सरगदूता की तुरी बजाबा की बजेसुं ज्यो अबार बजाबाळाई छ, धरती का रेबाळा को कतरो बरो होव्अलो, कतरो बरो!”
ई पर बी ज्यो मनख बा महामारया सुं मरया कोन छा वे वांका हाथा का कामा सुं मन कोन फेरया अर भुत-परेत की या फेर सोना, चांदी, पितळ, भाटा अर लकड़ी की बा मूरत्या की आराधना करबो कोन छोड़या, ज्यो न्अ देख सक्अ छ, न्अ सुण सक्अ छ अर न्अ ई चाल सक्अ छ।