अर ज्यो वे भटक जाव्अ तो फेर वान्अ फेरू मन फरार परमेसर का गेल्ला मं पाछो ल्याबो कळ्डो छ। क्युं क वे परमेसर का छोरा न्अ फेर करूस माळ्अ चढ़ाव्अ छ, अर चोड़्अ-धाड़्अ बीको अपमान करअ छ।
उंई बगत एक बड़ो भुकम्प आयो अर नगर को दसवो हस्सो ढसगो। बी भुकम्प सुं सात हजार लोगबाग मरग्या। अर ज्यो मरबा सुं बचग्या वे डरपर सरग का परमेसर की महमा की बड़ाई करबा लागग्या।
जिसुं बी बड़ी नगरी का तीन हस्सा होगा अर अधर्मया को नगर ढसगो। परमेसर बाबुल की बड़ी नगरी न्अ डण्ड देबा बेई याद कर्यो छो। जिसुं क वो बीका रोष सुं भभकतो कटोरो बीन्अ देव्अ।
फेर एक तागतहाळो सरगदूत एक घट्टी का पाट की जस्यानका भाटा न्अ ऊचर सागर म्अ या खेर फका दियो क, “हे महानगरी बाबुल, तु अस्यान'ई पटक दी जाव्अली अर फेर कद्या बी कोन लाद्अली।
ई नगरी न्अ सजा जिसुं मली छ क्युं क परमेसर की ओड़ी सुं बोलबाळा को अर परमेसर का लोगबागा को अर धरती प्अ मारया गिया सबळा लोगबागा का लोई को यो नगर जुम्मेवार छो।