फेर सरग मं एक ओर जोरको अचम्बा को नसाण दिख्यो। मन्अ सात सरगदूत सात महामारया लिएड़ा दिख्या। ये आखरी महाविनास छ, क्युं क यांक्अ पाछ्अ परमेसर को रोष बी ठण्डो हो जाव्अ छ।
फेर म देख्यो क एक चील आम्बर मं ऊंची उड़री छी। म बीन्अ जोरसुं या खेतो सुण्यो, “बा तीन बचेड़ा सरगदूता की तुरी बजाबा की बजेसुं ज्यो अबार बजाबाळाई छ, धरती का रेबाळा को कतरो बरो होव्अलो, कतरो बरो!”