12 फेर वे दोनी गुवा जोरसुं एक आकासवाणी सुण्या क, “अण्डअ उपरअ आजावो।” अस्यान वे वांका बिरोध्या क देखता होया बादळा मं होर उपरअ चलग्या।
नरक मं तड़फडार जद्या वो आंख्या उठा'र देख्यो तो घणो आंतरअ लाजर न्अ अबराम की गोदी मं बेठ्यो देख्यो।
अतरो खिया पाछ्अ वाक्अ देखता-देखता'ई उन्अ उपरअ सरग मं उठालिया अर एक बादळो उन्अ वांकी आंख्या सुं ओझळ कर दियो।
वांक्अ पाछ्अ आपा ज्यो जीवता छा, अर हालताणी बी अण्डअ'ई छा वांकी लाराई बायरा म परबु सुं मलबा बेई बादळा म उपरअ उठालिया जाव्अला, अस्यान आपा हमेसा बेई परबु की लारा हो जाव्अला।
बा एक छोरो जणी ज्यो लोया को राजदण्ड लेर सबळी जात्या माळ्अ राज करबाळो छो। पण बी बाळक न्अ झठदाणी उठा'र परमेसर अर बीका सिंहासन क साम्अ ले जायो गियो।
ज्यो जीत्अलो म बीन्अ म्हारी लार सिंहासन माळ्अ बेठबा को अधिकार देऊलो। ठीक बियान् जस्यान म जीत पार म्हारा बाप की लार बेठ्यो छु।”
ईक्अ पाछ्अ मन्अ एक और दर्साव दिख्यो अर मन्अ सरग को बाण्णो खुलेड़ो दिख्यो। अर बाई आवाज जीन्अ मं पेली सुण्यो छो, तुरी की आवाज मं मन्अ खेरी छी, “उपरअ आजा। ज्यो बाता पक्की होबाळी छ म तन्अ दखाऊलो।”